Pradosh Vrat Upay : प्रदोष व्रत करने से दूर होते हैं सभी कष्ट, जानिए उपाय और पूजा विधि

Pradosh Vrat Upay : प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे आसान तरीका है। अगर आप देवों के देव भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप प्रदोष व्रत जरूर रखें, हिंदू शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जी को बहुत ही जल्दी प्रसन्न किया जाता सकता है और उनकी कृपा से जिंदगी के सभी कष्ट दूर किया जा सकते हैं।

हमारे सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है, प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है और इस दिन प्रदोष व्रत रखने से और पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव जी की पूजा करने से भक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और इतना ही नहीं प्रदोष व्रत रखने से सभी दोस्त समाप्त होते हैं और मां को शांति मिलती है। प्रदोष व्रत रखना के क्या-क्या फायदे हैं और प्रदोष व्रत उपाय ( Pradosh Vrat Upay ) से जुड़ी पूरी इनफार्मेशन आपको मिलेगी।

प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व

बनारस के महा ज्योतिष आचार्य और पंडित श्री धर्मेंद्र शास्त्री जी के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्ध मिलती है। प्रदोष व्रत रखने से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। पंडित जी के अनुसार प्रदोष व्रत एक ऐसा रास्ता है जिसके जरिए आप भगवान शिव जी को जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। प्रदोष व्रत रखने से जिंदगी के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और जिंदगी में आने वाले सभी समस्याओं का नाश होता है।

प्रदोष व्रत कब रखा जाता है ?

हिंदी पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है और इस दिन पूरे विधि विधान के साथ प्रदोष काल के समय भगवान शिव जी की पूजा की जाती है।

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प्रदोष व्रत के फायदे

प्रदोष व्रत रखने से और इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा करने से अनेक चमत्कारिक फायदे मिलते हैं –

  • प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति अच्छी रहती है और व्यक्ति के ऊपर चंद्रमा की स्थिति अच्छी बनी रहती है और चंद्रमा के खराब प्रभाव भी समाप्त होते हैं।
  • प्रदोष व्रत रखने से धन समृद्धि बढ़ती है, नौकरी और व्यापार में लाभ होता है।
  • प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जी और माता पार्वती की कृपा हरदम बनी रहती है और जिंदगी के सभी कष्ट दुख तकलीफ दूर होते हैं।
  • हिंदू पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है उसे व्यक्ति के जीवन में कभी भी संकट नहीं आते हैं और जिंदगी में धन और समृद्धि हरदम बनी रहती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और इसके बाद आप घर और मन्दिर की साफ सफाई करके गंगाजल की छिड़काव करें।
  • अब आप शिव जी के मंदिर जाकर भगवान शिव जी को एक लोटा जल अर्पित करें और हाथ जोड़कर प्रदोष व्रत के लिए संकल्प ले।
  • प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल यानी प्रदोष काल में की जाती है।
  • आपको दिन भर व्रत रखना है और केवल फलाहार का ही सेवन करना है।
  • संध्या काल के समय आप स्नान करने के बाद सभी पूजा सामग्री जैसे की बेल पत्र धतूरा दूध दही शहद घी और भांग इकट्ठा करें।
  • अब आप शिव जी के मंदिर जाकर सबसे पहले शिवलिंग की पूजा करें।
  • आप शिवलिंग में जल और गंगाजल से जलभिषेक करें इसके बाद ऊपर बताइ गयी सभी पूजा सामग्री को अर्पित करें।
  • अब आप भगवान शिव जी को खीर फल और हलवे का भोग लगे और इसके बाद माता पार्वती को सोलह सिंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • अब आपको ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना है।
  • अब आप शिव चालीसा का पाठ करें।
  • अब आपको घी का दीपक जलाकर भगवान शिव जी और माता पार्वती की आरती करें और उसके बाद हाथ जोड़कर अपने उज्जवल भविष्य के लिए कामना करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )

प्रदोष व्रत कितने साल तक करना चाहिए ?

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत 11 अथवा 1 वर्ष के समस्त त्रयोदशी व्रत रखनी चाहिए।

कौन सा प्रदोष व्रत सबसे अच्छा है ?

प्रदोष व्रत में रवि प्रदोष व्रत सबसे श्रेष्ठ प्रदोष व्रत माना जाता है रवि प्रदोष व्रत रखने से दीर्घायु एवं आरोग्य प्राप्ति का वरदान मिलता है।

प्रदोष व्रत टूट जाए तो क्या करें?

अगर किसी भूल बस या अनजाने में प्रदोष व्रत टूट जाता है तो आप शिवजी से क्षमा मांगे इसके बाद आप स्नान करके शुद्ध होकर भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूरी विधि विधान के साथ पूजा करें और शिव मंत्र का जाप करें और अगले प्रदोष व्रत से पूरी भक्ति भाव के साथ दोबारा व्रत रखें।

प्रदोष व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?

प्रदोष व्रत के दौरान शाम के वक्त भगवान शिव जी की पूजा करने के बाद आप फलाहार के अलावा फल दूध दही साबूदाना की खिचड़ी और सिंघाड़े हलवे का सेवन कर सकते हैं।

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