Siddha Kunjika Stotram : मां दुर्गा को समर्पित सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से इसके चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। सिद्ध कुंजिका पाठ करने से मनुष्य के सभी दुख तकलीफ कष्ट चमत्कारिक रूप से दूर होते हैं और व्यक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ ( Siddha Kunjika Stotram ) के प्रभाव से सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है और मां दुर्गा जी का आशीर्वाद हरदम बना रहता है।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत ( Siddha Kunjika Stotram ) बहुत ही परम कल्याणकारी और चमत्कारिक है। इसके प्रभाव से आप अपनी जिंदगी की सभी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सच्चे भक्ति भाव और पूरी श्रद्धा के साथ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करता है तो उसकी सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है और उसकी जिंदगी के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् ( Siddha Kunjika Stotram )
ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः,
श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्,
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
( शिव उवाच )
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मंत्रप्रभावेण चंडीजापः शुभो भवेत् ॥ 1 ॥न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ 2 ॥कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3 ॥गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ 4 ॥अथ मंत्रः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ।
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ 5 ॥
इति मंत्रः ।नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ 6 ॥नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ 7 ॥ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ 8 ॥चामुंडा चंडघाती च यैकारी वरदायिनी ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ॥ 9 ॥धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ 10 ॥हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ 11 ॥अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षम् ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ 12 ॥पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ 13 ॥कुंजिकायै नमो नमः ।
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ 14 ॥यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ 15 ॥इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
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सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने के फायदे
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने के आपको एक नहीं बल्कि अनेक लाभ मिलते हैं।
- प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से व्यक्ति के ऊपर किए गए तंत्र मंत्र के नकारात्मक प्रभाव का असर समाप्त होता है।
- सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से मनुष्य को आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
- प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से जिंदगी में सुख समृद्धि शांति आती है और जीवन में आने वाले सभी समस्याएं समाप्त होती हैं।
- सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से मनुष्य के कुंडली और ग्रहों के सभी अशोक प्रभाव समाप्त होते हैं।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ विधि
- सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ रात्रि में करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- सर्वप्रथम आप सबसे पहले स्नान करें इसके बाद आप पूजा स्तर पर मां दुर्गा जी की प्रतिमा रखें और घी का दीपक जलाएं।
- पूजा के समय आप लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
- अब आपको लाल आसन पर बैठ जाना है और इसके बाद आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ करने का संकल्प लेना है।
- अब आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ शुरू करें।
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