Ashta Lakshmi Stotram – अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

Ashta Lakshmi Stotram : धर्म ग्रंथो में बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से रोजाना अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ ( Ashta Lakshmi Stotram ) करता है उसे व्यक्ति के जीवन में हरदम सुख तथा समृद्धि बनी रहती है, व्यक्ति के ऊपर कभी भी आर्थिक परेशानियां नहीं आती है और उस व्यक्ति पर हरदम मां लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। अगर आप मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना चाहते हैं आप अपने जीवन में धन दौलत प्राप्त करना चाहते हैं और आप अपने जीवन में सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो आप प्रत्येक दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा करें और अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ ( Ashta Lakshmi Stotram ) करें।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अष्टलक्ष्मी स्त्रोत सबसे अच्छा माध्यम है। आपको प्रत्येक दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करना है इसके बाद आप साफ सुथरा कपड़े पहनकर माता लक्ष्मी जी की पूजा करें और अष्टलक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें, अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ ( Ashta Lakshmi Stotram ) के प्रभाव से आपके जीवन में सदैव मां लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहेगी और आपके ऊपर कभी भी आर्थिक संकट नहीं आएगा –

Ashta Lakshmi Stotram – अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहॊदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥

धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदापालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 2 ॥

धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये [जयवरवर्णिनि]
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते
जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥

गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥

सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते । [सप्तस्वर]
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 5 ॥

विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी सदा पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 6 ॥

विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥

धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥

फलशृति
श्लो॥ अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥

श्लो॥ शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥

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अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ के लाभ

  • अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने के आपको चमत्कारिक प्रभाव मिलते हैं।
  • नियमित रूप से अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने से आपके जीवन में आर्थिक संकट नहीं आता है।
  • नियमित रूप से अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने से आपको धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने से आपको आर्थिक तंगी और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  • अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने के प्रभाव से आपके व्यापार और नौकरी में अपार सफलता प्राप्त होती है।
  • अष्टलक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने से व्यक्त के अंदर सद्गुण और साहस की वृद्धि होती है और ज्ञान और शिक्षा में अपार सफलता प्राप्त होती है।
  • नियमित रूप से अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत पाठ करने से व्यक्ति को पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा और आने वाले बाधाओ से मुक्ति मिलती है।

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