शनि मंत्र 108 बार करें जाप, हर समस्या से मिलेगी मुक्ति

शनि मंत्र 108 बार – मनुष्य के जीवन में शनि ग्रह का बहुत ही विशेष महत्व है, शनि देव मनुष्य के कर्म के हिसाब से नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव देते हैं, अगर व्यक्ति के ऊपर शनिदेव का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो इससे मनुष्य के जीवन में बहुत गलत प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से मनुष्य के आर्थिक स्थित के साथ-साथ दूसरे कार्यों में भी बाधा आती है। शनि देव के प्रकोप से बचने और कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत करने के लिए शनि मंत्र का जाप सबसे अच्छा और कारगर उपाय है। अगर आप शनि मंत्र 108 बार उच्चारण करते हैं तो इससे आप शनिदेव के प्रकोप से बच सकते हैं।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नवग्रह में से शनि ग्रह सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है, शनि ग्रह की चाल बहुत ही धीमी होती है और शनि ग्रह प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कम से कम दो बार आते हैं जिसकी वजह से मनुष्य को शनि देव की साड़ी सती का प्रकोप झेलना पड़ता है। शनि देव प्रत्येक मनुष्य को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं, हालांकि ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को अशुभ ग्रह माना जाता है लेकिन अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो शनि देव उसको अच्छा परिणाम भी देते हैं। चलिए जानते हैं शनि मंत्र 108 बार उच्चारण क्यों करना चाहिए और इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं।

शनि मंत्र 108 बार ( Shani Mantra 108 Times )

अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर है या फिर आपकी कुंडली में शनि दोष है या कुंडली में शनि साढे साती का प्रकोप है तो आपके लिए शनि मंत्र 108 बार का जाप करना बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। अगर आप नियमित रूप से शनि मंत्र 108 बार जाप करते हैं तो इससे आप शनि देव के हर प्रकार से प्रकोप से बच सकते हैं। आपको शनि देव की पूजा के समय पूरे भक्ति भाव के साथ शनि बीज मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें।

महत्वपूर्ण शनि मंत्र ( Shani Mantra )

शनि बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥

तांत्रिक शनि मंत्र

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

शनि गायत्री मंत्र

॥ ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात ॥
अर्थात मैं उस प्रभु को नमन करता हूं, जिसके ध्वज पर काक बना हुआ है, जिनके हाथ में तलवार है। शनैश्वर को मेरे जीवन को ज्योति मान करने दो।

क्षमा हेतु शनि मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

शनि महामंत्र

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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शनि मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए ?

आप प्रत्येक दिन या फिर शनिवार के दिन शनि मंत्र का जब सुबह और शाम कर सकते हैं, अगर आपके पास प्रत्येक दिन टाइम नहीं है तो आप शनिवार के दिन शनि बीज मंत्र का 108 बार जाप जरुर करें। शनि मंत्र जाप करने से पहले आप स्नान करें इसके बाद आप काले रंग के कपड़े धारण करें। अब आपको सबसे पहले शनि देव की पूजा करना है और सरसों के तेल का दीपक जलाना है, शनि बीज मंत्र का 108 बार जाप करना है, शनि मंत्र जाप करते समय आपको किसी भी तरह के कोई जल्दबाजी नहीं करनी है। आप कोशिश करें कि शनि मंत्र का जब आप शनि मंदिर जाकर करें तो इसका प्रभाव बहुत अधिक मिलता है।

शनि मंत्र 108 बार जाप करने के लाभ

  • अगर आप शनिवार के दिन शनि मंत्र का 108 बार जाप करते हैं तो इससे आपकी नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
  • शनि मंत्र का 108 बार जाप करने से आपकी कुंडली में शनि देव की स्थिति मजबूत होती है।
  • अगर आपके ऊपर शनि साढे साती का प्रभाव है तो आप शनि मंत्र का 108 बार जाप करके शनि साडेसाती का प्रभाव कम कर सकते हैं।
  • शनि मंत्र 108 बार जाप करने से आपके ऊपर शनि देव का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है और उनकी कृपा आप पर हरदम बनी रहती है।
  • शनि मंत्र 108 बार जाप करके शनि देव की प्रकोप से बच सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )

शनिदेव का मूल मंत्र क्या है?

“ॐ शं शनैश्चराय नमः” शनि देव का मूल मंत्र है

शनि मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए?

शनि मंत्र का जब 108 बार करना चाहिए इसके अलावा कुछ विशेष परिस्थितियों में शनिवार का मंत्र 108 दिन लगातार करना चाहिए।

शनि ग्रह के जप के लिए कौन सा मंत्र है?

ॐ शं शनैश्चराय नमः (सबसे सामान्य), ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः (बीज मंत्र), और नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि देव का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है ?

शनि देव का सबसे शक्तिशाली मंत्र ॐ शनि देवाय नमः है।

शनि का बीज मंत्र क्या है।

शनि का बीज मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’

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