Diwali Kyon Manae Jaati Hai : हिंदू धर्म में दिवाली त्योहार सबसे बड़ा त्यौहार में से एक है। दिवाली को हम लोग दीपावली के नाम से भी जानते हैं, दिवाली के दिन पूरे देश भर में सभी लोग अपने घर में दीपक और पटाखे फोड़ कर उत्सव मनाते हैं और इस दिन भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के घर वापसी के खुशी के रूप में मनाते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं की दिवाली क्यों मनाई जाती है ( Diwali Kyon Manae Jaati Hai ) दिवाली मनाए जाने के पीछे क्या कारण है तो हम आपके यहां पर कथाओं के अनुसार दिवाली क्यों मनाई जाती है ( Diwali Kyon Manae Jaati Hai ) उसके बारे में बताएंगे।
दिवाली क्यों मनाई जाती है ( Diwali Kyon Manae Jaati Hai )
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार प्रकाश का पर्व कहलाता है क्योंकि इस दिन अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है। पूरे देश में दीपों की रोशनी, मिठाइयों की खुशबू और खुशियों का माहौल दिखाई देता है। दिवाली न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
दिवाली का सबसे प्रमुख कारण भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना माना जाता है। भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण का वध करके जब अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया। तभी से हर वर्ष इस दिन दीप जलाकर इस उत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई। दीपक उस प्रकाश का प्रतीक है जो अंधकार को दूर करता है, जैसे ज्ञान अज्ञान को मिटाता है।
दिवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
दिवाली हमें सिखाती है कि जीवन में अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीपक जलाने से वह मिट सकता है। यह त्योहार हमें सकारात्मकता, दया, और भाईचारे का संदेश देता है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। इससे समाज में एकता और आपसी प्रेम बढ़ता है।
व्यापारिक दृष्टि से भी दिवाली का बहुत महत्व है। इस दिन व्यापारी नया लेखा-जोखा (बहीखाता) शुरू करते हैं, क्योंकि यह लक्ष्मी पूजा का दिन भी है। मां लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी हैं, और इस दिन उनकी पूजा से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
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दिवाली के पांच दिन
दिवाली का त्योहार केवल एक दिन का नहीं होता, बल्कि यह पाँच दिनों तक चलता है – धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली), गोवर्धन पूजा, और भाई दूज। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है।
दिवाली 2025 तिथि एवं पंचदिवसीय उत्सव कैलेंडर
धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। लोग सोना, चांदी या बर्तन खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। धनतेरस से दिवाली उत्सव की शुरुआत होती है।
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। लोग घर की सफाई कर दीप जलाते हैं और शुभता का स्वागत करते हैं।
लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली) – 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
यह दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। घरों, मंदिरों में दीपों की जगमगाहट छा जाती है। इस दिन धन, समृद्धि और सुख की कामना की जाती है।
गोवर्धन पूजा – 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है। लोग अन्नकूट बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
भाई दूज – 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। बहनें भाइयों की लंबी आयु और सुख की कामना करती हैं, और भाई बहनों को उपहार देते हैं।