Indira Ekadashi Vrat Date : अश्विन माह के शुक्ल पक्ष तिथि के दिन पड़ने वाली इंदिरा एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है क्योंकि यह एकादशी व्रत पितृपक्ष में पड़ रही है इसलिए इस एकादशी को हम लोग इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष के लिए विशेष महत्व रखता है। पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत के दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में व्रत और पूजा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार मानता है कि पितृ पक्ष में एकादशी के दिन पितरों को पितृ श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है। ऐसा मानता है कि इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करने से और दान दक्षिणा देने से मनुष्य की सभी समस्याएं समाप्त होती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इंदिरा एकादशी व्रत कब है ( Indira Ekadashi Vrat Date )
हिंदू पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है, आश्विन मास एक कृष्णा स्थिति की शुरुआत 16 सितंबर को रात्रि 12:30 पर हो रही है और इसका समापन अगले दिन 17 सितंबर 2025 को रात्रि 11:40 पर हो रही है, उदया तिथि के हिसाब से इंदिरा एकादशी व्रत 17 सितंबर 2025 को रखा जाएगा।
इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मानता है कि इंदिरा एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु जी की आशीर्वाद से मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिंदगी के सभी समस्याएं दुख तकलीफ कष्ट समाप्त होते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार मानता है कि इस दिन इंदिरा एकादशी व्रत करने से और पूजा पाठ करने से अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध दान तर्पण करते हैं और पितरों की आत्मा के लिए ब्राह्मणों को भोजन करते हैं तो इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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इंदिरा एकादशी पर दान करें ये चीजें
हमारे ग्रंथो में इंदिरा एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन अगर आप गरीब लोगों को खाना खिलाते हैं और ब्राह्मणों को खाना खिलाकर दान दक्षिणा देते हैं तो इससे आपके पितरों को संतुष्टि मिलती है, आप इंदिरा एकादशी व्रत के दिन पूजा पाठ करने के बाद गरीब लोगों को घी दूध दही और अन्न का दान करें। अगर आप से हो सकता है तो आप इस गरीब लोगों को कपड़े और छाता दान करें।
इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि
- एकादशी व्रत के दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर गंगा जी में स्नान करें।
- अगर आप गंगा जी मिष्ठान नहीं कर सकते तो आप बाल्टी के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर और उसमें तिल डालकर स्नान करें।
- स्नान करने के बाद आप भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना करें और व्रत का संकल्प ले।
- आप स्नान करने के बाद अपने पितरों के लिए पूजा करें।
- एकादशी व्रत के दौरान आपको केवल फलाहार का सेवन करना है।