June Mein Amavasya Kab Hai : आषाढ़ अमावस्या कब है, जानिए सही तिथि मुहूर्त और पूजा विधि

June Mein Amavasya Kab Hai – हिंदू पंचांग में आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। आषाढ़ अमावस्या खास तौर पर पितरों के लिए मानी जाती है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों की पूजा करने से और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि शांति आती है। अगर आपके मन में कंफ्यूजन है कि आषाढ़ अमावस्या कब है तो आपके यहां पर आषाढ़ अमावस्या कब है ( जून में अमावस कब की है ) के साथ-साथ शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से जुड़ी पूरी जानकारी मिलेगी।

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पितरों को तृप्त और उन्हें प्रसन्न करने के लिए मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों की पूजा अर्चना, दर्पण और पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि शांति रहती है। अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान करना पूजा करना दान करना बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। अगर आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आप इस दिन कुछ खास उपाय करके भी पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं। आपको आषाढ़ अमावस्या कब की है ( June Mein Amavasya Kab Hai ) और आषाढ़ अमावस्या में क्या-क्या उपाय करना चाहिए, सभी जानकारी प्रोवाइड की जाएगी।

आषाढ़ अमावस्या कब है ( जून में अमावस कब की है )

वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण तिथि के दिन अमावस्या पड़ती है। इस बार आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष तिथि 24 जून 2025 को पड़ेगी और इसका समापन अगले दिन 25 जून को होगा। क्योंकि कृष्ण उपस्थिति की शुरुआत 24 जून को सुबह 6:59 पर होगी और समापन 25 जून को दोपहर 4:00 बजे होगा। इस हिसाब से आषाढ़ अमावस्या 25 जून को मनाई जाएगी।

आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त

सूर्योदय का समय – सुबह 5:25

सूर्यास्त का समय शाम – 7:30

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:05 से लेकर 4:45 तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 2:45 से लेकर 3:39

गोधूलि मुहूर्त – शाम 7:21 से लेकर 7:45 तक

अमृत काल – शाम 11:34 से लेकर 1:02

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अमावस्या के दिन पितरों को ऐसे करें प्रसन्न

आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं, ऐसा करने से आपकी जिंदगी में सुख समृद्धि आती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह उपाय करने से आपकी जिंदगी में रुके हुए काम बनने लगते हैं।

अगर आप पितृ दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आप आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान करें और एक लोटा जल में काले तिल मिलाकर सूर्य देव को आर्ध्य दें। आषाढ़ अमावस्या के दिन इस उपाय को करने से मनीष के ऊपर चल रहे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

आषाढ़ अमावस्या के दिन करें ये उपाय

आषाढ़ अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है, यह दिन खास तौर पर स्नान दान तर्पण के लिए बहुत ही शुभ माना गया है, सनातन धर्म में मान्यता है कि इस दिन कुछ खास उपाय करके आप पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और पितरों को शांति दे सकते हैं। अमावस्या के दिन कौन-कौन से उपाय करने चाहिए इसके बारे में जानते हैं ।

  • आषाढ़ अमावस्या के दिन रात्रि के समय एक लोटा शुद्ध जल लेकर उसमें काले तिल और दूध मिलाकर खुले स्थान पर रखें, आपको यह लोटा ऐसी जगह पर रखना है जहां पर चंद्रमा की रोशनी लोटे पर पड़े, फिर आपको इस लोटे के जल को अगले दिन पीपल के पेड़ को अर्पित कर दें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा आप पर बनी रहती है।
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन रात्रि के समय घर की दक्षिण दिशा की ओर सरसों के तेल का दीपक जलाएं ( दीपक में काले तिल जरूर डालें ) , ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है।
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन रात्रि में स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने और घी का दीपक जलाकर पितरों को ध्यान करें, पितृ स्तोत्र का पाठ करें। सनातन धर्म में बताया गया है की चित्र स्त्रोत पाठ करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )

आषाढ़ माह में अमावस्या कब है?

आषाढ़ माह में अमावस्या 25 जून 2025 को मनाई जाएगी।

आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?

आषाढ़ अमावस्या के दिन रात्रि के समय घर के दक्षिण कोने में दीपक जलाएं और पीपल के पेड़ में एक लोटा जल तिल के साथ अर्पित करें।

अमावस्या किस भगवान से संबंधित है?

अमावस्या भगवान शिव को संबंधित है और उसे दिन सभी भक्त लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं।

 

 

 

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