दुर्गा आरती इन हिंदी | जय अंबे गौरी आरती लिखित में | Maa Durga Aarti Hindi

दुर्गा आरती इन हिंदी – मां दुर्गा के अनेक स्वरूप हैं, शारदीय नवरात्र में 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और इस दिन पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गा जी की पूजा की जाती है, मां दुर्गा जी की पूजा आरती ( Maa Durga Aarti Hindi ) के बिना अधूरी मानी जाती है, हिंदू शास्त्रों में बताया गया है की मां दुर्गा की पूजा के समय दुर्गा आरती करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनुष्य पर हरदम मां दुर्गा जी का आशीर्वाद बना रहता है।

मां दुर्गा जी की आराधना और पूजा करने के लिए नवरात्रि के दिन सबसे पावन दिनों में से माने जाते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा जी की पूजा करने से भक्ति को खुशी शक्ति और ज्ञान प्रदान होता है, मां दुर्गा जी की कृपा से जिंदगी में चल रही सभी समस्याएं समाप्त होती हैं और मां जी की कृपा से सभी अधूरे कार्य पूरे होते हैं। आप सभी को मां दुर्गा जी की पूजा करते समय आरती करने मे किसी भी तरह की समस्या ना हो इसके लिए दुर्गा आरती इन हिंदी | जय अंबे गौरी आरती लिखित में | Maa Durga Aarti Hindi आसान हिंदी भाषा में प्रोवाइड कर रहे हैं।

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दुर्गा आरती इन हिंदी | जय अंबे गौरी आरती लिखित में | Maa Durga Aarti Hindi

दुर्गा आरती ( Maa Durga Aarti )

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोऊ नैना, चंद्रबदन नीको॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गलमाला, कंठन पर साजै॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी॥

कानन कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥

चंड-मुंड संहारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करै भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजै डमरू॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
भक्तन की दुःख हरता, सुख संपत्ति कानी॥

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥

श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

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