Maa Kushmanda Mantra : मां कुष्मांडा देवी माता दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्ति की जीवन में सुख समृद्धि और जीवन में शांति आती है इसके अलावा मां कुष्मांडा की उपासना करने से भक्ति के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा उनकी आरती और मंत्र के बिना अधूरी मानी जाती है, आप सभी भक्तों की सुविधा के लिए कुष्मांडा देवी मंत्र ( Maa Kushmanda Mantra ) के बारे में बता रहा हूं जिसे आप मां कुष्मांडा की पूजा करते समय इन मंत्र का जाप जरुर करें।
नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है, आप सभी भक्त लोग शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करें और साथ में इस दिन मां कुष्मांडा की मंत्र जाप करने के साथ-साथ आरती जरूर करें जिससे कि आपकी पूजा सफल हो।
कुष्मांडा देवी मंत्र | Maa Kushmanda Mantra
मां कुष्मांडा का सिद्ध बीज मंत्र
“मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:”
मां कुष्मांडा पूजन मंत्र
“मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।”
“या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”
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कुष्मांडा देवी मंत्र मंत्र जाप विधि
नवरात्रि के चौथे दिन आप सबसे पहले मां कुष्मांडा माता की पूजा करने के लिए सभी पूजा सामग्री इकट्ठा करें और पूरे विधि विधान के साथ पूजा शुरू करें, माता रानी को सभी पूजा सामग्री समर्पित करने के बाद आप मां कुष्मांडा मंत्र का 108 बार जाप करें। मां कुष्मांडा मंत्र जाप करने से आपकी सभी रोग और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं और मां कुष्मांडा माता की कृपा से आपकी जिंदगी में सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥