Namami Shamishan With Lyrics : श्री शिव रुद्राष्टकम संस्कृत स्तुति पाठ करने से भगवान शिव जी की कृपा से जिंदगी के सभी दुख तकलीफ कष्ट दूर होते हैं। श्री शिव रुद्राष्टकम संस्कृत स्तुति पाठ एक ऐसा पाठ है जिसके माध्यम से आप भगवान शिव जी को प्रसन्न कर सकते हैं। अगर आप प्रत्येक दिन सच्चे भक्ति भाव और पूरे श्रद्धा के साथ भगवान शिव जी की पूजा करते हैं और आप श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ करते हैं तो इससे आपके ऊपर हरदम भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है और आप भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं।
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् पाठ ( Namami Shamishan Nirvan Roopam ) शिवजी का सबसे अद्भुत स्तुति और महत्वपूर्ण स्त्रोतम पाठ है। श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। धार्मिक शास्त्र के अनुसार भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना करके रुद्राष्टकम स्तुति का पाठ किया था जिससे कि शिवजी की कृपा से श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई थी।
Namami Shamishan With Lyrics / Namami Shamishan Nirvan Roopam / Namami Shamishan Lyrics In Hindi
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ( Namami Shamishan With Lyrics )
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम्तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम्
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गाचलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामिप्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी
चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारीन यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भोरुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति
रुद्राष्टकम पाठ विधि
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के सामने दीपक जलाएँ और गंगाजल छिड़कें।
- फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, जल और फल अर्पित करें।
- शांत मन से “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
- फिर पूरे श्रद्धा भाव से रुद्राष्टकम का पाठ करें।
- अंत में भगवान शिव से क्षमा प्रार्थना करें और सभी प्राणियों के कल्याण की प्रार्थना करें।
द्राष्टकम पाठ के लाभ
- भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- मानसिक तनाव, भय और नकारात्मकता दूर होती है।
- जीवन में शांति और आत्मबल बढ़ता है।
- घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- पापों का क्षय और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
रुद्राष्टकम : FAQ
रुद्राष्टकम पढ़ते समय क्या विशेष नियम हैं?
पाठ से पहले स्नान करें, शिवलिंग के सामने बैठें, और मन शांत रखें। मांस-मदिरा आदि से दूर रहें।
क्या रुद्राष्टकम से कष्ट दूर होते हैं?
हाँ, यह पाठ जीवन के दुख, भय और बाधाओं को शांत करता है। इसे “शिव कृपा प्राप्ति का मार्ग” माना गया है।
क्या रुद्राष्टकम केवल सोमवार को ही पढ़ना चाहिए?
नहीं, आप इसे किसी भी दिन पढ़ सकते हैं, परंतु सोमवार, प्रदोष व्रत या महाशिवरात्रि को इसका विशेष फल मिलता है।
रुद्राष्टकम में कितने श्लोक हैं?
कुल 8 श्लोक हैं।
रुद्राष्टकम किस देवता को समर्पित है?
भगवान शिव को।
रुद्राष्टकम कब पढ़ना चाहिए?
सोमवार या मासिक शिवरात्रि को विशेष रूप से।
क्या महिलाएँ रुद्राष्टकम पढ़ सकती हैं?
हाँ, पूरी श्रद्धा से कोई भी पढ़ सकता है।
रुद्राष्टकम पाठ से क्या लाभ होता है?
मानसिक शांति, समृद्धि और शिवकृपा मिलती है।