Narak Chaturdashi 2025 : नरक चतुर्दशी कब है? नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं, जानिए धार्मिक महत्व

Narak Chaturdashi 2025 :  हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी पर्व छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है, नरक चतुर्दशी पर्व सुरक्षा शांति और समृद्धि का प्रतीक है इस दिन गेहूं के आटे से बना दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा सुख शांति और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। धार्मिक मानताओ के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा की जाती है और इससे मृत्यु का भय कम होता है।

हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का बहुत ही विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। नरक चतुर्दशी को हम लोग छोटी दीवाली और रूप चौदस के नाम से भी जानते हैं, यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। आईए जानते हैं नरक चतुर्दशी कब है ( Narak Chaturdashi 2025 ) नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं इसके पीछे क्या कारण है आपको हर प्रकार की जुड़ी जानकारी मिलेगी।

नरक चतुर्दशी कब है ( Narak Chaturdashi 2025 )

नरक चतुर्दशी दिवाली की एक दिन पहले मनाई जाती है, नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर 2025 दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन गेहूं के आटे से दीपक बनाकर दक्षिण दिशा में जलाकर रखा जाएगा और इस दिन यमराज देवता की भी पूजा की जाती है।

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नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है ?

प्राणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण अपने पत्तियों के साथ द्वारिका में विराजमान थे। उसे टाइम पर एक नरकासुर राक्षस का आतंक बहुत ही ज्यादा बढ़ गया था, नरकासुर का आतंक केवल पृथ्वी लोक ही नहीं बल्कि तीनों लोक में त्राहिमाम मचाए हुआ था इतना ही नहीं नरकासुर ने अपने बल के दम पर 16000 स्त्रियों को बंदी बनाया था।

चारों तरफ नरकासुर के आतंक से परेशान इंद्रदेव ने भगवान श्री कृष्ण के पास आकर विनती की और नरकासुर से मुक्ति दिलाने के लिए कहा, तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर से भीषण युद्ध किया और इस युद्ध में नरकासुर का वध करके विजय प्राप्त की, इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने 16 000 स्त्रियों को कैद से मुक्त कराया, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन किया था इसलिए तभी से इस शुभ अवसर पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है और इस दिन यमराज की पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी के दिन इस तरह करें पूजा

नरक चतुर्दशी के दिन आपको संध्या काल में गेहूं के आटे से दीपक बनाना है और इसमें चार छोटी-छोटी बड़ी बत्तियां तैयार करनी है। अब आप इस दीपक में तेल डालकर चारों तरफ गंगाजल छिड़क और उसके बाद आप दीपक को जलाकर घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर रखें।

दीपक के नीचे आप थोड़ा अनाज रखें और इसके बाद आप दीपक जला कर रखें। नरक चतुर्दशी के दिन इस तरह से दीपक जलाकर रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा सुख शांति आती है और मां लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है इसके अलावा इस दीपक जलाने से घर में अकाल मृत्यु की बाधा दूर होती है।

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