Navgrah Stotra : सभी नौ ग्रह की पीड़ा दूर करने के लिए करे नवग्रह स्तोत्र पाठ, जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि, शांति

Navgrah Stotra : अगर आपकी कुंडली में गृह अशुभ स्थिति में है और इसकी वजह से आपको अपने जीवन में बार-बार समस्या उठानी पड़ती हैं। कुंडली में नौ ग्रहों में से कुछ ग्रह अशुभ प्रभाव देते हैं तो वहीं कुछ ग्रह शुभ प्रभाव देते हैं। ग्रहों की इन प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक कारोबार करियर और सेहत पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में अगर आपकी कुंडली में कुछ अशुभ ग्रहों की वजह से आपके जीवन में समस्या हो रही है तो आपको ऐसी स्थिति में नवग्रह स्तोत्र ( Navgrah Stotra ) का पाठ बहुत ही लाभदायक माना जाता है।

नवग्रह स्तोत्र ( Navgrah Stotra ) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप केवल नौकरी स्त्रोत का पाठ करके अपने कुंडली में सभी ग्रहों को प्रसन्न कर सकते हैं। यानी कि आप अपनी कुंडली में शनि शुक्र बृहस्पति मंगल के साथ-साथ अंग ग्रहों को केवल नवग्रह स्तोत्र ( Navgrah Stotra ) पाठ से प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में नवग्रह प्रसन्न रहते हैं तो ऐसे में आपके जीवन में सुख समृद्धि और शांति रहती है इसके अलावा आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत रहती है। आपको नौ ग्रह स्तोत्र पाठ करने में किसी भी तरह की समस्या ना हो इसके लिए हम आपके लिए “नवग्रह स्तोत्र हिंदी में” लेकर आए हैं।

नवग्रह स्तोत्र ( Navgrah Stotra )

( नवग्रह स्तोत्र हिंदी में )

॥ भगवान सूर्य ॥

जपाकुसुमसंकाशंकाश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नंप्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥1॥

॥ भगवान चन्द्र ॥

दधिशङ्खतुषाराभंक्षीरोदार्णवसंभवम्।
नमामि शशिनं सोमंशम्भोर्मुकुटभूषणम्॥2॥

॥ भगवान मङ्गल ॥

धरणीगर्भसंभूतंविद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तंतं मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥3॥

॥ भगवान बुध ॥

प्रियङ्गुकलिकाश्यामंरूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतंतं बुधं प्रणमाम्यहम्॥4॥

॥ भगवान गुरु ॥

देवानां च ऋषीणां चगुरुं काञ्चनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशंतं नमामि बृहस्पतिम्॥5॥

॥ भगवान शुक्र ॥

हिमकुन्दमृणालाभंदैत्यानां परमं गुरुम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारंभार्गवं प्रणमाम्यहम्॥6॥

॥ भगवान शनि ॥

नीलांजनसमाभासंरविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसंभूतंतं नमामि शनैश्चरम्॥7॥

॥ नवग्रह राहु ॥

अर्धकायं महावीर्यंचन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतंतं राहुं प्रणमाम्यहम्॥8॥

॥ नवग्रह केतु ॥

पलाशपुष्पसंकाशंतारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरंतं केतुं प्रणमाम्यहम्॥9॥

॥ इति श्रीवेदव्यासविरचितम नवग्रहस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाय

नव ग्रह के नाम ( Nau Grahon Ke Naam )

नौ ग्रह कौन-कौन से होते हैं इसकी पूरी लिस्ट हम आपको नीचे दे रहे हैं –

  1. सूर्य
  2. चंद्रमा
  3. मंगल
  4. बुध
  5. बृहस्पति
  6. शुक्र
  7. शनि
  8. राहु
  9. केतु

नवग्रह स्तोत्र के फायदे

नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपको एक नहीं बल्कि कई सारे फायदे मिलते हैं जो की इस प्रकार है –

करियर और विवाह – नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपके करियर और विवाह में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं।

ग्रह दोष से निवारण – नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपकी कुंडली में कोई भी ग्रह हो हुआ धीरे-धीरे समाप्त होता है।

सकारात्मक ऊर्जा – नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है जिससे आपके जीवन में अच्छे परिणाम मिलने में मदद होती है।

सुख-समृद्धि, शांति – नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि आती है और आपको मानसिक रूप से शांति प्राप्ति होती है और आप तनाव एवं चिंता से मुक्त रहते हैं।

वास्तु दोष निवारण – नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपको सभी वास्तु दोष से मुक्ति मिलती है।

आध्यात्मिक लाभ – नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से आपको आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है जिसके माध्यम से ईश्वर के साथ जुड़ने में कामयाब रहते हैं।

नवग्रह स्तोत्र पाठ विधि

  • नवग्रह स्तोत्र का पाठ सूर्योदय के समय या फिर प्रदोष काल संध्या काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।
  • आप स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें इसके बाद आप पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • अब चौकी पर लाल कपड़े के ऊपर नौकरी यंत्री या नवग्रह की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठता है।
  • अब आपको घी का दीपक जलाना है इसके बाद भगवान गणेश जी का स्मरण करना है।
  • अब आपको श्रद्धा पूर्वक मां को एकांत करके नौ ग्रह स्तोत्र का पाठ करना है।
  • आप नवग्रह स्तोत्र का पाठ कम से कम 11 बार करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )

नवग्रह स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

नवग्रह स्तोत्र का पाठ शनिवार या मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त या संध्या काल में करना चाहिए।

नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से क्या होता है ?

नवग्रह स्तोत्र पाठ करने से सभी ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि शांति आती है।

नवग्रह स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए ?

नवग्रह स्तोत्र का पाठ 11 बार करना चाहिए।

ग्रह शांति के लिए कौन सा पाठ करना चाहिए?

ग्रह शांति के लिए नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।

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