पहली बार करवा चौथ कैसे करें : करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा, अगर आपकी नई-नई शादी है और आप पहली बार करवा चौथ व्रत रखने जा रहे हैं और आपको नहीं मालूम की करवा चौथ व्रत कैसे रखें यहां पर आपको स्टेप बाय स्टेप पहली बार करवा चौथ कैसे करें के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। यह जानकारी खास तौर पर उन नवविवाहित महिलाओं के लिए है जो घर परिवार से दूर रहती है और उनको करवा चौथ व्रत के बारे में कोई बताने वाला नहीं होता है।
करवा चौथ 2025 व्रत खास तौर पर नई शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। करवा चौथ व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम को दर्शाता है इसलिए सभी शादीशुदा महिलाओं का पहला करवा चौथ व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हम आप सभी नई शादीशुदा महिलाओं के लिए पहली बार करवा चौथ कैसे करें यानी की पहली बार करवा चौथ पूजा कैसे करें के बारे में स्टेप बाय स्टेप बाय पूरी जानकारी देंगे और साथ में आपको करवा चौथ पूजा सामग्री के बारे में जानकारी देंगे जिससे कि आपको करवा चौथ पूजा करने में किसी भी तरह की कोई समस्या ना हो।
पहली बार करवा चौथ कैसे करें ?
पहले की तैयारी (1–2 दिन पहले)
- करवा चौथ पूजा सामग्री इकट्ठा करें
- मेहँदी/सजावट अगर चाहें तो पहले लगा लें।
- सरगी की व्यवस्था तय कर लें (सास/माँ से लें या खुद तैयार रखें)।
- अगर किसी स्वास्थ्य समस्या (डायबिटीज़, गर्भावस्था, दिल की समस्या) है तो डॉक्टर से सलाह लें — व्रत में बदलाव कर सकते हैं।
सवेरा — सरगी (व्रत शुरू होने से पहले)
- माँ/सास/घरवाली से मिली सरगी खाएं, यह सूर्योदय से पहले खाना होता है।
- अगर सरगी नहीं मिली तो हल्का, पौष्टिक नाश्ता सूर्योदय से पहले खा लें (परंपरा के अनुसार इसे खाने के बाद भोजन बंद)।
- सूर्योदय के बाद पारंपरिक रूप से निरज़ला व्रत माना जाता है (ना जल, ना भोजन) — पर स्वास्थ्य के हिसाब से पानी लेना अनिवार्य हो तो परिवार/डॉक्टर की सलाह अनुसार करें।
स्नान-वस्त्र
- दिन में स्नान करें और साफ, पारंपरिक कपड़े पहनें — साड़ी/सलवार या जो आरामदायक लगे।
- सिंदूर, चूड़ा, नथ या आभूषण वैकल्पिक—जो आपकी पारिवारिक परंपरा हो वही करें।
दिन के समय
- व्रत के दौरान हल्का काम करें; भारी मेहनत/तनाव से बचें।
- सकारात्मक और शांत रहें — पूजा के लिए मन बनाये रखें।
- अगर बाहर जाना हो तो तैयारियाँ समय से करें ताकि शाम की पूजा के दौरान आप घर पर हों या आयोजन में शामिल हो सकें।
शाम — पूजा-तैयारी (चाँद निकलने से पहले)
- चंद्रोदय का समय (परंपरागत नियम के अनुसार चाँद निकलने पर व्रत टूटा जाता है)।
- एक थाली (चाँद थाली / प्रार्थना थाली) तैयार करें,
- घर में दीपक और जगह साफ रखें; पति की तस्वीर भी रखी जा सकती है (या पति सामने हों)।
पूजा-विधि (रात में, चाँद निकलने से पहले/कथा के बाद)
- सबसे पहले देवता/गृहस्थ देवताओं (जैसे गौरी/शिव/परिवार की परंपरा) के सामने स्तुति करें।
- करवा (मिट्टी/कुल्हड़/कलश) को पानी से भरकर, चावल/कुंकुम/दूध आदि अर्पित करें और करवा पर राखी/लाल कपड़ा बाँधकर स्थापित करें।
- हाथों में चावल और रोली लेकर पति की लम्बी आयु के लिए आरती गाएं या पारंपरिक भजन/कथा सुनें।
- कई घरों में महिलाएँ एक-एक कर करवा पर रोली, चावल और फूल चढ़ातीं हैं और आशीर्वाद लेती हैं।
- पूजा के अंत में सब महिलाएँ आशिर्वाद लें और पति के साथ चाँद देखने की तैयारी करें।
चाँद देखना और व्रत तोड़ना
- जैसे ही चाँद दिखाई दे, पत्नी छोटे छलनी/चालनी (छलनी) से चाँद को देखें।
- उसी छलनी से पति का चेहरा देखें (कई परंपराओं में पहले चाँद फिर पति का चेहरा)।
- पत्नी चाँद को जल/दूध अर्पित (अंगुलियों से) करती हैं; फिर पति द्वारा पत्नी को पहला घूंट पानी/दूध और पहला निवाला खिलाया जाता है।
- इसके बाद पूरा प्रसाद/भोजन साझा कर के व्रत तोड़ा जाता है।
पूजा/व्रत थाली — सामान्य सामग्री
- करवा (मिट्टी/कुल्हड़/कलश)
- छलनी/छन्नी (सतन)
- दीपक, घी/बत्ती
- रोली/कुंकूम/चावल
- मिट्टी/फूल/दूध/जल (चाँद अर्पित करने हेतु)
- मिठाई (लड्डू, पेड़े आदि) और फल
- चावल, नारियल (यदि परंपरा में हो)
- सूखा मेवा (बदाम, किशमिश) — जरूरी नहीं पर उपयोगी
- पति की फोटो (यदि वे उपस्थित न हों)
- लड्डू/प्रसाद व कटोरी/थाली
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