Pradosh Vrat September 2025 : सनातन धर्म में प्रत्येक महीने पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू शास्त्रों में मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने से अब भगवान शिव जी की पूजा करने से भक्ति सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जिंदगी में सुख समृद्धि शांति आती है और मनुष्य के वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं भी समाप्त होती है। ।
सितंबर महीने में प्रदोष व्रत भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। अगर आप प्रदोष व्रत रखते हैं और आप जानना चाहते हैं कि सितंबर में प्रदोष व्रत कब है ( Pradosh Vrat September 2025 ) आपके यहां पर पूरी पंडित, ज्योतिष आचार्य के द्वारा बताई गई सटीक जानकारी मिलेगी इसके अलावा हम आपको प्रदोष व्रत पूजा विधि प्रदोष व्रत महत्व और शुभ मुहूर्त से जुड़ी भी जानकारी देंगे।
सितंबर में प्रदोष व्रत कब है ( Pradosh Vrat September 2025 )
सितंबर महीने में त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 5 सितंबर को सुबह 4:09 पर हो रही है और इसका समापन 6 सितंबर 2025 को रात्रि में 3:14 पर होगा। शास्त्रों के विधान के हिसाब से उदया तिथि के हिसाब से प्रदोष व्रत 5 सितंबर 2025 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। क्योंकि इस बार प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इस प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
प्रदोष व्रत पूजन शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा संध्या काल में की जाती है। प्रदोष व्रत के दिन आपको पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6:38 से लेकर रात्रि 8:55 के बीच है, आपकी शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
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शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत रखने से और इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, जिंदगी में सुख समृद्धि और शांति आती है, स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं समाप्त होती हैं, वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी का रुद्राभिषेक करने से आपके घर पर चल रही सभी समस्याओं का नाश होता है।
शुक्र प्रदोष व्रत में बन रहे कई शुभ संयोग
भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन पढ़ने वाले प्रदोष व्रत के दिन दो दुर्लभ संजोग बना रहे हैं, इस दिन सौभन योग के साथ-साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का भी योग बन रहा है। इसलिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से आपको मन चाही चाहिए वरदान की प्राप्ति होगी, इस दिन पूजा करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर बरसेगी।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान सूर्य देव को अर्ध्य दें।
- अब आपको साफ कपड़े पहनना है इसके बाद भगवान शिव जी की पूजा करना है और व्रत का संकल्प लेना है।
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा प्रदोष कल्याणी शाम के वक्त की जाती है।
- व्रत के दौरान आप केवल फलाहार का सेवन करना है।
- आप शाम के वक्त शिव मंदिर जाकर भगवान शिव जी की प्रतिमा और शिवलिंग की पूजा करें।
- आपको सबसे पहले घी का दीपक जलाना है और शिवलिंग को पंचामृत से अभिषेक करना है।
- अब आप शिवलिंग पर जीवन अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- इसके बाद आप शिवलिंग पर सभी पूजा सामग्री अर्पित करें।
- अब आपको शुभ प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना है और उसके बाद शिव चालीसा का पाठ करने के बाद भगवान शिव जी की आरती करें।
- इसके बाद आप भगवान शिव जी को अर्पित किए गए सभी प्रसाद को लोगों को बातें और अगले दिन पारण के समय व्रत का पारण करें।
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