Putrada Ekadashi 2025 Date : पुत्रदा एकादशी कब है और क्यों मनाई जाती है जानिए महत्व, नोट कीजिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त

Putrada Ekadashi : हिंदू पुराणों के अनुसार एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनुष्य के सभी दुख तकलीफ कष्ट दूर होते हैं, इसके अलावा विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से जिंदगी में सुख समृद्धि आती है और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। सावन महीने में पड़ने वाली एकादशी व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस बार सावन महीने में पुत्रदा एकादशी व्रत पड़ रहा है, जिसकी वजह से इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक है।

हिंदू पुराणों में सावन महीने का महत्व बहुत अधिक है, सावन महीने में प्रत्येक दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन महीने में भगवान शिव जी के साथ-साथ एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करने से साधक को पूजा का कई गुना फल मिलता है। आईए जानते हैं सावन महीने में पुत्रदा एकादशी व्रत कब रखा जाएगा, एकादशी महत्व सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

पुत्रदा एकादशी कब है ( Putrada Ekadashi 2025 )

सनातन धर्म में एकादशी व्रत प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन महीने में शुक्ल पक्ष तिथि 4 अगस्त 2025 को सुबह 11:41 पर है, वहीं इसका समापन अगले दिन 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:12 पर है। इस हिसाब से सभी भक्त लोग 5 अगस्त 2025 को पुत्रदा एकादशी व्रत रखेंगे और इस दिन श्री हरि नारायण जी की पूजा करेंगे।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

हिंदू पुराणों के अनुसार हिंदू धर्म में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व बहुत अधिक है। जैसे नाम से ही पता लगता है कि यह व्रत सभी महिलाएं अपनी पुत्र की मनोकामनाओं के लिए रखती हैं। पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से परिवार में सुख शांति समृद्धि आती है। जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, वह महिलाएं पुत्र का एकादशी व्रत रखकर संतान प्राप्ति की मनोकामना मांग सकती है, इसके अलावा महिलाएं पुत्र की लंबी आयु और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है?

पुत्रदा एकादशी ( Putrada Ekadashi )  का व्रत साल में दो बार आता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत खास तौर पर उन दंपति को रखना अनिवार्य है जिनको संतान सुख प्राप्ति नहीं होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर कोई दंपति पूरी विधि विधान के साथ और पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं तो उसे संपत्ति की संतान सुख प्राप्त होता है और भगवान विष्णु हरि की कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा विधि

  • पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा करने के लिए सबसे पहले आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान सूर्य को अर्ध देकर ओम सूर्याय नमो मंत्र का जाप करें।
  • अब आप अपने घर की साफ सफाई करें और मंदिर की स्थान के साथ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब आप भगवान विष्णु और माताजी लक्ष्मी जी की प्रतिमा को सफेद फूल चंदन केसर युक्त दूध से पूजा करें और तुलसी और मिठाई का भोग लगाए।
  • अब आप भगवान विष्णु जी की आरती करें और आरती करने के बाद हाथ जोड़कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
  • अब आप एकादशी व्रत के लिए संकल्प ले और सारा दिन व्रत रखें। व्रत के दौरान आपको केवल फल या फिर दूध का ही सेवन करना है।
  • एकादशी व्रत के दिन आपको सुबह और शाम दोनों टाइम पूजा करनी है और पूजा करने के बाद ओम भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप जरुर करें।

 

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