Sankat Mochan Hanuman Ashtak / Hanuman Ashtak Lyrics / संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ

Sankat Mochan Hanuman Ashtak : अगर आप अपनी जिंदगी में चारों तरफ से गंभीर समस्याएं और तीसरा संकट में फंस चुके हैं और आपके निकालने का कोई मार्क नहीं दिख रहा है आप प्रत्येक दिन भगवान हनुमान जी की पूजा के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करें और इसके साथ हनुमान अष्टक पाठ ( Hanuman Ashtak ) करें। आपकी जिंदगी की सभी समस्याओं का धीरे-धीरे समापन होने लगेगा और आपकी जिंदगी के एक नए उत्तम मार्ग के रास्ते खुलेंगे।

हनुमान अष्टक पाठ ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak  ) करने से आपके अंदर का भय समाप्त होता है और आपको एक नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है और आपके अंदर आत्मविश्वास आता है। प्रत्येक दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक पाठ करने से आपको आश्चर्यजनक लाभदायक फल मिलते हैं। अगर आप प्रत्येक दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक पाठ करने में असमर्थ है तो आप शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक पाठ जरूर करें।

Sankat Mochan Hanuman Ashtak / Hanuman Ashtak Lyrics / संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ

Hanuman Ashtak ( हनुमान अष्टक पाठ )

बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

।। दोहा। ।

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।

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हनुमान अष्टक पाठ कैसे पढ़े ?

  • हनुमान अष्टक पाठ पढ़ने के लिए आप सुबह जल्दी 4:00 बजे उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने।
  • अब आपको हनुमान जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाना है।
  • अब आप हनुमान जी को गुड़ चने का भोग अर्पित करें।
  • अब आप पूरे एकाग्रता और भक्ति भाव के साथ हनुमान अष्टक पाठ करें।

हनुमान अष्टक पाठ करने के फायदे ?

हनुमान अष्टक पाठ ( Hanuman Ashtak ) करने से आपको बहुत सारे फायदे मिलते हैं –

  • नियमित रूप से हनुमान अष्टक पाठ करने से आपके सभी संकट समाप्त होते हैं।
  • हनुमान अष्टक पाठ करने से आपके अंदर का भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • नियमित रूप से 21 दिन हनुमान अष्टक पाठ करने से आपके ऊपर कठिन से कठिन चल रहा कष्ट दूर होता है।
  • हनुमान अष्टक पाठ करने से आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और आपके हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
  • हनुमान अष्टक पाठ करने से आपके ऊपर टोने टोटके का प्रभाव समाप्त होता है।
  • हनुमान अष्टक पाठ करने से आपकी जिंदगी में सुख समृद्धि शांति आती है।
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