Sawan Pradosh Vrat Kab Hai : हिंदू शास्त्रों के अनुसार सावन महीने में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहार का महत्व बहुत अधिक होता है। सावन महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है, यही वजह है कि सावन महीने में प्रदोष व्रत का एक अलग महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने से और पूजा करने से साधक को पूजा का कई गुना फल मिलता है। क्योंकि सावन का महीना और प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है, सावन प्रदोष व्रत में व्रत रखने से पूजा करने से भक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत प्रत्येक माह त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। सावन महीने में त्रयोदशी तिथि किस दिन पड़ेगी यानी कि सावन में प्रदोष व्रत कब है, सावन प्रदोष व्रत का महत्व, सावन प्रदोष व्रत में भगवान शिव जी की पूजा कैसे करें। आपके संपूर्ण पूरी जानकारी यहां पर दी जाएगी, सावन प्रदोष व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी बनारस के महा विद्वान एवं ज्योतिषाचार्य पंडित उमेश पांडे जी के द्वारा दी जाएगी।
सावन में प्रदोष व्रत कब है ? ( Sawan Pradosh Vrat Kab Hai )
सावन मास का प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा, इस बार सावन मास में प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई 2025 को पड़ेगी। इस हिसाब से सावन का प्रदोष व्रत 22 जुलाई 2025 को रखा जाएगा और इसी दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाएगी। क्योंकि इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है इस वजह से इसको हम लोग प्रदोष व्रत के नाम से भी जानते हैं।
सावन प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में सावन प्रदोष व्रत का एक अपना अलग महत्व है। सावन प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है और एक दिन पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव जी की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत रखा जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी कृपा से मनुष्य की जिंदगी में सुख शांति और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिव पुराण के अनुसार सावन प्रदोष व्रत रखने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा सूर्यास्त के बाद करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन आप सूर्यास्त के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा की तैयारी करें।
भगवान शिव जी की पूजा के लिए आप सबसे पहले पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
सबसे पहले आप घर में पूजा स्थल पर मिट्टी से शिवलिंग बनाएं।
अब आप शिवलिंग को गंगाजल दूध दही पंचामृत से अभिषेक करें।
इसके बाद आप बेलपत्र फूल अर्पित करें।
अब आप घी का दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें।
इसके बाद आप शिवजी की आरती करें और हाथ जोड़कर जाने अनजाने की गई गलतियों के लिए माफी मांगे।
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