हिंदू पुराणों में हर महीने दो एकादशी व्रत पड़ता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु और माता पार्वती को समर्पित होता है और इस दिन पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता पार्वती की पूजा करने से मनुष्य की जिंदगी में चली आ रही समस्याएं दूर होती हैं और मनुष्य की जिंदगी में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष में वैकुंठ एकादशी व्रत रखा जाएगा।
अगर आप प्रत्येक माह पड़ने वाली एकादशी व्रत रखते हैं तो आपके लिए वर्ष 2025 की पहली पड़ने वाली वैकुंठ एकादशी व्रत रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। सनातन धर्म में वैकुंठ एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है, बहुत सारे भक्त लोग वैकुंठ एकादशी व्रत को पौष पुत्रदा का एकादशी व्रत के नाम से भी जानते हैं।
वैकुंठ एकादशी कब है ( Vaikunta Ekadasi 2025 )
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष में वैकुंठ एकादशी व्रत रखा जाएगा। वर्ष 2025 की पहली और वैकुंठ एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा। वैकुंठ एकादशी व्रत तिथि की शुरुआत 9 जनवरी को दोपहर 12:22 पर शुरू होगी जो कि अगले दिन 10 जनवरी को रात्रि 10:19 पर समाप्त होगी। इसलिए आप सभी भक्तगण 10 जनवरी को वैकुंठ एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
वैकुंठ एकादशी का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – ब्रह्म मुहूर्त में आप प्रातः 5:27 से लेकर 6:21 तक का शुभ मुहूर्त रहेगा।
गोधूलि मुहूर्त – यह मुहूर्त का शुभ टाइम संध्याकाल 05:40 से शुरू होगा जो की संध्याकाल 06:07 तक रहेगा
अभिजीत मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर 12:08 से शुरू होगा जो की 12:05 तक रहेगा
व्रत पारण का टाइम – अगर आप एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपके लिए व्रत पारण का टाइम 11 जनवरी को सुबह 7:15 से लेकर 8:21 का शुभ मुहूर्त रहेगा, आप सभी भक्तगण इस समय के बीच व्रत का पारण कर सकते हैं।
वैकुंठ एकादशी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में वैकुंठ एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना जाता है। वैकुंठ एकादशी व्रत को पौष पुत्रदा एकादशी के रूप में भी जानते हैं। वैकुंठ एकादशी के दिन सभी भक्तगण पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। सनातन धर्म में कहा गया है कि इस एकादशी के दिन अगर कोई भक्त सच्चे मन और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसकी जिंदगी से सभी समस्याएं दूर होती हैं और मनुष्य की जिंदगी में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।
Also Read : मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें, इस विधि से पूजन करने से भगवान शिव होते हैं प्रसन्
वैकुंठ एकादशी व्रत रखने से क्या होता है ?
वैकुंठ एकादशी व्रत रखने से मनुष्य की जिंदगी से मोह माया दूर होती है। एकादशी व्रत रखने से जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, उनके लिए वैकुंठ एकादशी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाताहै। वैकुंठ एकादशी व्रत रखने से दंपति को संतान प्राप्ति होती है। सनातन धर्म के अनुसार अगर कोई भक्त सच्चे मन और श्रद्धा के साथ वैकुंठ एकादशी का व्रत रखता है तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वैकुंठ एकादशी व्रत पूजा विधि
- वैकुंठ एकादशी व्रत के दिन सभी भक्तगण सुबह उठकर गंगा स्नान या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- अब आप सभी भक्तगण घर के मंदिर के स्थान की साफ सफाई करें और वहां पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करें।
- अब आप सभी पूजा सामग्री को इकट्ठा करें और इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें।
- पूजा करने के बाद आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती करने के बाद आप एकादशी व्रत का संकल्प ले और समय अवधि के बाद अपना व्रत तोड़े।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सबसे बड़ी एकादशी कौन सी मानी जाती है ?
सबसे बड़ी एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है, निर्जला एकादशी व्रत के दौरान पुरुष या महिला को बिना जल का सेवन करें और बिना कुछ खाए व्रत रहना पड़ता है।
वैकुंठ एकादशी किस देवता से संबंधित है ?
वैकुंठ एकादशी का व्रत भगवान विष्णु से संबंधित है।
वैकुंठ एकादशी में क्या खाना चाहिए?
वैकुंठ एकादशी व्रत के दौरान आप फल का सेवन कर सकते हैं इसके अलावा आप आलू या सिंघाड़े का आटे का सेवन कर सकते हैं। व्रत पारण के समय आप तामसिक भोजन का इस्तेमाल न करें।
वैकुंठ एकादशी पर क्या दान करें ?
वैकुंठ एकादशी के दिन गाय दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है इसके अलावा आप अपने सुविधा अनुसार गरीब लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से दान कर सकते हैं।
Leave a Comment