Vakratunda Mahakaya Mantra : भगवान गणेश जी को सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना जाता है, कोई भी शुभ कार्य हो या फिर कोई पूजा हो या फिर कोई मांगलिक कर हो हर जगह गणेश जी की पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा करने से सभी कार्य अच्छे से होते हैं, कार्यों में आने वाली विघ्न समाप्त हो जाती है। भगवान गणेश जी का एक ऐसा वक्रतुंड महाकाय मंत्र ( Vakratunda Mahakaya Mantra ) है जिसका पूजा से पहले उच्चारण करने से आप पर गणेश जी की दया दृष्टि बनी रहती है।
गणपति पूजा में तो कई सारे मंत्र उच्चारण किए जाते हैं लेकिन क वक्रतुंड महाकाय मंत्र ( Vakratunda Mahakaya Mantra ) भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे आसान और उत्तम मार्ग माना जाता है। वक्रतुंड महाकाय मंत्र ( Vakratunda Mahakaya Mantra ) के उच्चारण करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और भगवान गणेश जी की कृपा से आपके सभी कार्य शीघ्र से शीघ्र पूरे होते हैं, इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि, शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। “वक्रतुंड महाकाय” का अर्थ है विशाल शरीर और वक्र सूंड वाले गणेश जी, जो सभी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं। यह मंत्र जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वरदान देता है।
वक्रतुंड महाकाय मंत्र ( Vakratunda Mahakaya Mantra ) हिंदी अर्थ के साथ
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र का हिंदी अर्थ – जिनका मुंह घुमावदार है। जिनका शरीर विशाल है, जो अपने भक्तजनों के पाप को तुरंत हर लेते है, जो करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी हैं, जो ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैला सकते हैं, जो सभी कार्यों में होने वाले बाधाओं को दूर कर सकते है, वैसे प्रभु आप मेरे सभी कार्यों की बाधाओं को शीघ्र दूर करें। आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखें।
गणेश जी की पूजा करने के लिए कुछ महामंत्र
2- विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
अर्थ – विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।
3- अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥
अर्थ – हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।
4- एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥
अर्थ – जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।
5- एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।।
अर्थ – एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।
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गणपति पूजा से जुड़े नियम
स्नान और स्वच्छता – पूजा से पहले स्वयं स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को भी शुद्ध जल से पवित्र करें।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख – गणपति जी की मूर्ति या चित्र को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करें और पूजन करते समय भी उन्हीं दिशाओं की ओर मुख रखें।
मूर्ति स्थापना – गणेश जी की मूर्ति को लकड़ी या पीतल की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। मूर्ति की सूंड दायीं ओर न हो, बल्कि बायीं ओर हो तो शुभ माना जाता है।
लाल पुष्प और दूर्वा अर्पण करें – गणेश जी को लाल फूल, दूर्वा (तीन पत्तों वाली घास), और सिंदूर अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें अवश्य चढ़ाएं।
मोदक और लड्डू का भोग – गणपति जी को मोदक, लड्डू या गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं। यह उन्हें अत्यंत प्रिय होता है।
आरती और मंत्र जाप – “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और गणेश आरती करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
एकाग्र मन से पूजा करें – पूजा के समय मन को शांत रखें और पूरी श्रद्धा से भगवान का ध्यान करें।
प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व – प्रदोष काल (संध्या समय) में गणेश पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान गणपति पूजा से जुड़े प्रश्न ( FAQ )
प्रश्न: भगवान गणपति की पूजा करने का सबसे शुभ समय कौन-सा है?
उत्तर: गणेश जी की पूजा प्रातःकाल (सुबह सूर्योदय के समय) करना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि संध्या काल में भी पूजा की जा सकती है, विशेषकर चतुर्थी तिथि पर।
प्रश्न: गणपति जी की मूर्ति घर में कैसी रखनी चाहिए?
उत्तर: घर में बैठी हुई या खड़ी मुद्रा में बायीं सूंड वाली गणपति जी की मूर्ति शुभ मानी जाती है। दायीं सूंड वाली मूर्ति केवल विशेष पूजा या मंदिर में रखनी चाहिए।
प्रश्न: गणपति पूजा में कौन-सी वस्तुएँ नहीं चढ़ानी चाहिए?
उत्तर: तुलसी के पत्ते, लहसुन, प्याज, शराब और मांसाहार से बनी वस्तुएँ गणपति पूजा में नहीं चढ़ाई जातीं। ये तामसिक मानी जाती हैं।
प्रश्न: क्या रोज़ गणपति जी की पूजा की जा सकती है?
उत्तर: जी हाँ, रोज़ाना गणपति जी का ध्यान, दीप प्रज्वलन और “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
प्रश्न: गणपति पूजा में दूर्वा (घास) क्यों चढ़ाई जाती है
उत्तर: दूर्वा गणपति जी की प्रिय है। यह पवित्रता, दीर्घायु और शुभ फल का प्रतीक मानी जाती है। कहा जाता है कि दूर्वा चढ़ाने से सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
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