योगिनी एकादशी कब है – हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत एक माह में दो बार और वर्ष में 24 बार रखा जाता है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत सभी व्रतो में श्रेष्ठ माना जाता है, जिस प्रकार सभी तीर्थ में गंगा तीर्थ सबसे श्रेष्ठ माना जाता है उसी प्रकार से सभी व्रतो में एकादशी व्रत सबसे श्रेष्ठ माना गया है। सनातन धर्म में सभी व्यक्तियों को एकादशी व्रत रखना चाहिए, एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी समस्याओं का निवारण होता है।
आषाढ़ माह में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। असर माह में पड़ने वाली एकादशी को लेकर लोगों के मन में असमंजस है कि योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जाएगा या फिर 22 जून को, आप सभी भक्तों को योगिनी एकादशी व्रत की तिथि को लेकर किसी भी तरह का कोई असमंजस ना हो इसलिए सही तिथि, पारण, पूजा विधि के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी।
योगिनी एकादशी कब है? ( Yogini Ekadashi Vrat )
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में एकादशी तिथि 21 जून को सुबह प्रातः काल 7:15 कब से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 22 जून को 4:35 तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार दशमी में पड़ने वाली एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि दशमी संयुक्त में पड़ने वाली एकादशी का व्रत रखने से आपके द्वारा किए गए 1000 एकादशी व्रत का सारा फल नष्ट हो जाता है।
ज्योतिष आचार्याओं के अनुसार इस वजह से 21 जून को भूलकर भी एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार द्वादशी युक्त तिथि के दिन पड़ने वाली एकादशी सबसे श्रेष्ठ एकादशी मानी जाती है। द्वादशी युक्त तिथि अगले दिन यानी 22 जून 2025 को पड़ेगी, इसलिए आप सभी भक्त लोग 22 जून की ब्रह्म मुहूर्त को एकादशी रखा जाएगा और इस दिन पूजा की जाएगी और इसका कारण अगले दिन 23 जून 2025 को किया जाएगा। आप सभी लोग 22 जून 2025 को योगिनी एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
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योगिनी एकादशी व्रत पारण विधि
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 23 जून 2025 को किया जाएगा, पारण के दौरान सभी भक्त लोग सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहने, इसके बाद भगवान की आराधना करें। आप पारण के समय घर पर चावल की खीर बनाकर भगवान को अर्पित करें और इस खीर को खाकर पारण करे।
योगिनी एकादशी व्रत की महिमा
हिंदू शास्त्रों में योगिनी एकादशी व्रत की महिमा सबसे महान बताई गई है। योगिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु यानी हरि नारायण की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को कुष्ठ रोग नहीं होता है, जो लोग सुंदरता प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए भी योगिनी एकादशी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है, योगिनी एकादशी व्रत की महिमा के अनुसार इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के चेहरे पर दे जाता है और चेहरे में दाग धब्बे जैसी चीजों से छुटकारा मिलता है।
योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
- योगिनी एकादशी व्रत के दिन सभी भक्तों को सुबह जल्दी उठकर दिनचर्या से फ्री होकर स्नान करें और साफ-साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार जब तक साधक व्रत का संकल्प नहीं लेते हैं, बिना संकल्प के किए गए दान पुण्य फलीभूत नहीं होते।
- अब आप भगवान विष्णु जी की पूजा करने के लिए सभी पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
- मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करके भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें और पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें।
- पूजा करते समय आप भगवान विष्णु जी की आरती करें और हाथ जोड़कर अपने द्वारा किए गए गलतियों की माफी मांगे।
योगिनी एकादशी व्रत के दौरान क्या करना चाहिए
- योगिनी एकादशी व्रत के दौरान भक्त को सारा दिन ओम नमो भगवते वासुदेव मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
- एकादशी व्रत के दौरान भक्त को आहार में केवल आलू मूंगफली, अरबी, सेंधा नमक और दूध या दूध से बने ही पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
- एकादशी व्रत के दिन गाय को आटे की रोटी या आटे कि लोई जरूर खिलाएं।
- सभी भक्तों को इस दिन अपने नजदीक मंदिर में राशन सामग्री जरूर दान करनी चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )
योगिनी एकादशी करने से क्या होता है?
योगिनी एकादशी व्रत रखने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं जीवन में सुख समृद्धि आती है और कुष्ठ रोग के साथ-साथ दूसरे रोग भी दूर होते हैं।
योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत 22 जून को सुबह प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में रखा जाएगा।
योगिनी एकादशी में क्या दान करना चाहिए?
योगिनी एकादशी में जरूरतमंद लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से फल, दूध, अन्न दान करना चाहिए।
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