शीतला अष्टमी कब है

Sheetala Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी कब है, शीतला अष्टमी क्यों मनाई जाती है, जानिए शुभ मुहूर्त सही डेट और पूजा विधि

हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार प्रत्येक व्रत का विशेष महत्व माना जाता है, हिंदू धर्म में होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी तिथि मनाई जाती है और इस दिन माता पार्वती के दूसरे रूप शीतल देवी की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार मानता है कि इस दिन माता शीतला देवी की पूजा करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साधक के परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

शीतला अष्टमी का व्रत होली के आठवें दिन पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इस दिन हिंदू धर्म में झूला जालना पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन एक दिन पहले का बना हुआ बासी खाना खाने का रिवाज है। हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि शीतला अष्टमी व्रत के दिन व्रत रखने से और शीतला माता की पूजा करने से घर में सुख शांति आती है और सभी बीमारियों से रक्षा होती है।

शीतला अष्टमी कब है ( Sheetala Ashtami 2025 )

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष शीतला अष्टमी तिथि का व्रत होली के आठवें दिन पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है, इस हिसाब से वर्ष 2025 में शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च 2025 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। शीतला अष्टमी व्रत 22 मार्च 2025 सुबह 4:30 पर शुरू होगा जो कि अगले दिन 23 मार्च 2025 को समाप्ति होगी।

शीतला अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2025 को सुबह 6:23 पर शुरू होगा जो की संध्या काल 6:33 पर समाप्त होगा। हम सभी भक्त लोगों को माता शीतला देवी की पूजा करने के लिए 12 घंटे 11 मिनट का समय मिलेगा। इस समय के दौरान माता शीतला देवी की पूरी विधि विधान के साथ पूजा कर सकते हैं।

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शीतला अष्टमी का महत्व

धर्म में अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है, शीतला अष्टमी का व्रत माता पार्वती के एक रूप में पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला देवी को ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है और इस दिन सभी भक्त लोग ठंडे भोजन का ही सेवन करते हैं। हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना गया है, हिंदू पंचांग के अनुसार मानता है कि इस दिन माता शीतला देवी की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है और सभी लोगों को सभी बीमारियों से माता शीतला देवी रक्षा करती हैं।

माता शीतला देवी की पूजा कैसे करें ?

  • माता शीतला देवी की पूजा के समय ठंडी चीजों का भोग लगाना चाहिए इसके लिए हम सभी लोगों को पूजा के 1 दिन पहले हलवा, मीठे चावल, पूरी, बनाकर रख लेना चाहिए।
  • आप शीतला अष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और व्रत पूजा का संकल्प ले।
  • आप शीतला माता के मंदिर जाकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें और भोग में एक दिन पहले का बना हुआ हवा मीठे चावल और पुरी का भोग लगाए।
  • पूजा करने के बाद आप पूजा स्थल की सात बार परिक्रमा करें।
  • हिंदू शास्त्रों के अनुसार आप माता शीतला देवी की कथा सुन और इस दिन माता शीतला देवी की आरती जरूर गाएं।

माता शीतला देवी को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है ?

हिंदू धर्म में मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन पूजा के समय माता शीतला देवी को बासी भोजन का भोग लगाना चाहिए। हिंदू धर्म में मान्यता है की माता शीतला देवी को ठंडी चीजों का सेवन करना बहुत ही ज्यादा पसंद है। शीतला अष्टमी के दिन पूजा के समय माता शीतला देवी को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मानता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से चेचक खसरा जैसी रोगों से माता शीतला देवी रक्षा करती हैं और दूसरे रोग प्रकोपों से माता देवी रक्षा करती हैं।

पूछे जाने वाले सवाल

शीतला अष्टमी की पूजा कब की जाती है ?

पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष होली के आठवें दिन यानी कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी की पूजा की जाती है।

शीतला अष्टमी क्यों मनाई जाती है ?

हिंदू धर्म में मान्यता है कि माता पार्वती के दूसरे रूप यानी की शीतला माता की पूजा करने से सभी रोग प्रकोप से माता शीतला देवी रक्षा करती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है।

शीतला माता को क्या चढ़ाना चाहिए ?

शीतला माता की पूजा के समय जल फुल कुमकुम अक्षय टी बासी भोजन और सोलह सिंगार की सामग्री चढ़ाने चाहिए।

शीतला माता किसकी कुलदेवी है ?

शीतला माता क्षत्रिय, वैश्य, ब्राह्मण जात और गुर्जर जैसे कई सारे समाज कुलदेवी के रूप में पूजा करते हैं।