Devshayani Ekadashi 2025:भगवान विष्णु जी की निद्रा की शुरुवात,जाने 5 या 6 जुलाई कब है शुभ तिथि।

Devshayani Ekadashi 2025– सृष्टि के पालन करता भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन से निद्रा अवस्था में चले जाते हैं जिसके बाद चातुर्मास की शुरुआत होती है। ‌ अगर आपको भी जानना है कि देवसेना एकादशी 5 या 6 जुलाई कब है, तो आपको इस आर्टिकल में देवशयनी एकादशी 2025 से संबंधित संपूर्ण जानकारी मिलेगी।

इस तिथि और मुहूर्त पर भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में होंगे लीन, उदय तिथि के अनुसार इस दिन मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी!

Devshayani Ekadashi 2025– देवशयनी एकादशी को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है क्योंकि इस दिन से सृष्टि के पालन करता भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 महीने के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं जिसके बाद से चातुर्मास लग जाता है। चातुर्मास के लगते ही सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह तथा अन्य कार्य नहीं किए जाते हैं। आषाढ़ देवशयनी एकादशी इस वर्ष उदय तिथि के अनुसार 6 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी प्रारंभ 5 जुलाई 2025 को शाम 6:58 पर होगा जबकि अगले दिन 6 जुलाई 2025 को रात 9:15 पर समाप्त हो जाएगी। ‌यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने का सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। माँ काली को प्रसन्न करके अपने जीवन में लाईये सुख – समृद्धि : माँ काली को प्रसन्न करने के 5 आसान उपाय। 

आषाढ़ देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:08 मिनट से 04:48 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02:45 मिनट से 03:40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07:21 मिनट से 07:42 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात 12:06 मिनट से 12:46 मिनट तक

देवशयनी एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

देव सयानी एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए, इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है। वही इस दिन घर में चावल का भोग या चावल भी नहीं बनना चाहिए क्योंकि इससे भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं। ‌ देवशयनी एकादशी के दिन घर की साफ सफाई ठीक तरह से होनी चाहिए।

देवशयनी एकादशी 2025 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

2025 में देवशयनी एकादशी कब है?

साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। ‌ व्रत का संकल्प, पूजा विधि और दान-पुण्य जैसे सभी कार्य इसी दिन किए जाएंगे।

देवशयनी एकादशी पर क्या खाना चाहिए?

देवशयनी एकादशी पर केवल सात्विक भोजन करना चाहिए तथा उपवास रखने वाले व्यक्ति को केवल फलहार और जलपान पर पूरा दिन व्यतीत करना चाहिए। ‌

देवशयनी एकादशी का दूसरा नाम क्या है?

देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, पदमा एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

निष्कर्ष:इस आर्टिकल में हमने आपको आषाढ़ देवशयनी एकादशी से संबंधित जानकारी दी है जिसमें हमने शुभ मुहूर्त से लेकर कई आने महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की है।

 

 

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