Durga Chalisa Lyrics In Hindi : हिंदू धर्म में मां दुर्गा को आदिशक्ति का रूप माना गया है, मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूप है, जिनकी पूजा की जाती है। मां दुर्गा की पूजा आराधना करने से भक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर कोई भक्त मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ दुर्गा चालीसा पाठ करता है तो मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है और मां की कृपा हरदम बनी रहती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है। आपको दुर्गा चालीसा पाठ करने के लिए किसी भी तरह की कोई असुविधा ना हो इसके लिए आपको श्री दुर्गा चालीसा पाठ | Durga Chalisa Lyrics In Hindi | Durga Chalisa In Hindi मे उपलब्ध करा रहे हैं।
श्री दुर्गा चालीसा पाठ | Durga Chalisa Lyrics In Hindi | Durga Chalisa In Hindi
!! दुर्गा चालीसा – Durga Chalisa !!
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नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
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निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
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शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
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रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
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तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
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अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
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प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
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शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
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रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
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धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
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रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
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लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
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क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
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हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
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मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
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श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
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केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
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कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
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सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
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नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत॥
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शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तन बीज शंखन संहारे॥
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महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
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रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
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परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
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आभा पुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
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ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
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प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
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ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
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जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
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शंकर आचारज तप कीनो।
काम क्रोध जीति सब लीनो॥
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निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
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शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
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शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
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भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
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मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
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आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपु मुरख मोही डरपावे॥
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शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
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करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।।
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जब लगि जियऊं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
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श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
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देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
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॥इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण॥
जय माता दी ( Jai Mata Di )
दुर्गा चालीसा पाठ करने की विधि
- दुर्गा चालीसा पाठ करने से पहले जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद साफ वस्त्र पहने।
- अब आपको पूजा स्थल पर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, उसमें माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब आप मां दुर्गा को फूल होली धूप दीप आदि से पूजा करें।
- पूजा के दौरान आप दुर्गा यंत्र का उपयोग करें, इससे आपको बहुत अधिक लाभ होगा।
- अब आप दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।
- दुर्गा चालीसा पाठ समाप्त करने के बाद आप हाथ जोड़कर मां दुर्गा से प्रार्थना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और आने वाले समय के लिए दुआ मांगे।